इन दुआओं में से कोई एक या दो या सारी
दुआएँ पढ़ी जा सकती हैं,
और यह वक़्त पर भी मुनहसर है : |
ऐ माबूद ! हमें बख्श दे,
हम पर रहम फरमा महफूज़ रख,
हम से दर'गुज़र
फरमा दुन्या व आखेरत में,
बेशक तू हर चीज़ पर क़ुदरत रखता है |
अल्लाहुम्मा अग़'फ़िर-लना
व आर'हम्ना
व आफ़ेना व आ'फ़ो
अन्ना फी अल्दुन्या व अल'आखेरते
इनका अला कुल्ले शै'ईन
क़दीर |
اَللّٰھُمَّ اغْفِرْ لَنا وَارْحَمْنا وَعافِنا وَاعْفُ عَنَّا فِی الدُّنْیا
وَالْآخِرَةِ إِنَّکَ عَلَی کُلِّ شَیْء قَدِیرٌ
|
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या यह दुआ पढ़े : |
या रब बख्श दे रहम फरमा और माफ़ कर दे,
जो तू जानता है बेशक तो बड़ी इज्ज़त वाला शान वाला अता करने
वाला है |
रब्बे एजी'फ़िर
व अरहम व तजा'वज़
अम्मा
ता'लामो
इन्नका अन्ता अल'अज़्ज़ा
अल'जल्ला
अल'अकरमो |
رَبِّ
اغْفِرْ وَارْحَمْ وَتَجاوَزْ عَمَّا تَعْلَمُ إِنَّکَ أَنْتَ الْاَعَزُّ
الْاَجَلُّ الْاَکْرَمُ
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एल रिवायत में है की जब
ईमाम मुसा काज़िम (अ:स)
मेहराबे इबादत में खड़े होते तो सहीफ़ा अल'कामेलाह
की पचासवीं दुआ पढ़ा करते थे की जिस का आग़ाज़ इन लफ्ज़ों से
होता है :
(पूरी
दुआ यहाँ पढ़ें) |
ऐ माबूद तूने मुझे बेहतरीन सूरत में पैदा किया |
अल्लाहुम्मा इन्नका खलाक़'तनी
सवीयाँ |
اَللّٰھُمَّ إِنَّک خَلَقْتَنِی سَوِیّاً۔
|
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शेख सुददुक़ (अ:र) किताब "अल'फ़क़ीह"
में लिखा है की
हजरत रसूल
अल्लाह (स:अ:व:व)
नमाज़े वित्र के कानूत में यह दुआ पढ़ते थे ! |
ऐ
माबूद! मुझे हिदायत दे इसके साथ जिसे तूने हिदायत दी,
महफूज़ रख इसके साथ जिसे महफूज़ रखा सरपरस्ती कर इसके साथ
जिसकी सरपरस्ती की
और बरकत दे इसमें जो तूने अता किया,
बचा इस शर से जो तूने मुक़ददर किया क्योकि तू हुकुम करता है
और तुझ पर हुकुम नहीं किया जाता तू पाक है ऐ रब्बे काबा!
तुझ से बख्शीश चाहता हूँ तेरे आगे तौबा करता हूँ तुझ पर
अक़ीदा रखता हूँ तुझ पर भरोसा करता हूँ और नहीं ताक़त व
क़ुव्वत मगर जो तुझ से है ऐ मेहरबान |
अल्लाहुम्मा अह्देनी फ़ी'मन
हां'दैतौ
आफ़ेनी फ़ीमन आफ़ी'यतौ
तवल'लनी
फ़ीमन तवल'लैता
व बारीक ली
फ़ीमा आतय्ता व क़िनी शर्रा मा क्यू'ज़ैता
फ़'इन्नाका
तक्ज़ी व ला युक़'ज़ेया
इलैका रब्बा सुब्हानका अल'बैते
अस'तग़-फ़िरोका
व अतुबो इलैका व अवामिनो बिक व अतावक्कालो अलैका व ला हौला
व ला क़ुव्वता इल्ला बिका या रहीमो |
اَلَّھُمَّ اھْدِنِی فِیمَنْ ھَدَیْتَوَعَافِنِی فِیمَنْ
عَافَیْتَوَتَوَلَّنِی فِیمَن تَوَلَّیْتَ وَبارِکْ لِی
فِیما
أَعْطَیْتَ وَقِنِی شَرَّ مَا قَضَیْتَ فَإِنَّکَ تَقْضِی وَلاَ یُقْضَی
اَلَیْکَ رَبَّ َسُبْحَانَک الْبَیْتِ
أَسْتَغْفِرُکَ وَأَتُوبُ إِلَیْکَ وَأُوَمِنُ بِک وَأَتَوَکَّلُ عَلَیْکَ
وَلاَ حَوْلَ وَلاَ قُوَّةَ إِلاَّ بِکَ یَا رَحِیمُ۔
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शेख तुसी (अ:र) ने तहज़ीब अल'अहकाम
में
ईमाम मूसा अल'काज़िम
से नक़ल की है और वोह दुआ यह है : |
यह खड़ा है वोह
शख्स
जिसकी नेकियाँ तेरी नेमत हैं इसका शुक्र कमतर और
इसके गुनाह ज़्यादा हैं और इसके लिए तेरी मेहरबानी और रहमत
के सिवा
कोई सहारा नहीं,
बेशक तूने अपनी इस किताब में कहा जो तेरे फ़रस्ताद नबी पर
उतरी,
खुदा की रहमत हो इनपर और इनकी आल (अ:स)
पर खुदा के नेक बन्दे रात को कम सोते हैं और सेहर के वक़्त
इस से बख्शीश मांगते हैं जबकि मेरा सोना ज़्यादा और इबादत
कम है
यह सेहर का वक़्त है मैं तुझ से गुनाहों की
माफ़ी मानता हूँ,
यह माफ़ी मांगने वाला वोह है जो अपने नफ़ा व नुक़सान और अपनी
ज़िन्दगी व मौत और हशर पर अख्तयार नहीं रखता |
हाज़ा मक़ामो मन हस्ना'तोहू
नेमाता मिनका व शुक्रोहू ज़'इफ़ा
व ज़ून्बो'हु
अज़ीम व लिसा ले'ज़ालिका
इल्ला रफ़'क़का
व रह'मतोका
फ़'इन्नका
क़ुल्ता फ़ी किताबेकल मून'ज़ले
अला नबियेका अल'मुरसले
सल'लल'लाहो
अलैहे व आलेही
कानू
क़लीलन
मिन
अल'लैले
मा यह'जा'ऊना
व बिल'अस्हारे
हुम यस्ताग़'फ़रूना
व ताला होजू'एई
व क़ुलला क़्यामि व हाज़ा अस'सहरो
व आ'अना
अस्ताग़'फ़ेरोका
ले'ज़ुनूबी
अस्ताग़'फ़ारा
मन ला यजेदो ले'नफ़सेही
ज़र्रन व ला नफ़'अ'अन
व ला मौतन व ला हयातन व ला नशूरन |
ھذَا
مَقَامُ مَنْ حَسَناتُہُ نِعْمَةٌ مِنْکَ وَشُکْرُھُ ضَعِیفٌ وَذَنْبُہُ
عَظِیمٌ وَلَیْسَ لِذلِکَ إِلاَّ رِفْقُکَ
وَرَحْمَتُکَ فَإِنَّکَ قُلْتَ فِی کِتابِکَ الْمُنْزَلِ عَلَی نَبِیِّکَ
الْمُرْسَلِ صَلَّی اللهُ عَلَیْہِ وَآلِہِ کانُوا
قَلِیلاً مِنَ اللَّیْلِ مَا یَھْجَعُونَ وَبِالْاَسْحَارِ ھُمْ یسْتَغْفِرُونَ
وطَالَ ھُجُوعِی وَقَلَّ قِیامِی وَھذَا السَّحَرُ
وأَنَا
أَسْتَغْفِرُکَ لِذُنُوبِی اسْتِغْفارَ مَنْ لاَ یَجِدُ لِنَفْسِہِ ضَرَّاً
وَلاَ نَفْعَاً وَلاَ مَوْتاً وَلاَ حَیاةً وَلاَ نُشُوراً۔
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ईमाम अली (अ:स)
के वित्र की दुआ
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रब्बे असातो व ज़लम्तो नफसी व बा'एसा
माँ सना'अतो
फ़'हाज़ेही
यदा'या
या रब्बे जज़ा'अन
बीमा कसब्तो व हाज़ेहि रक़बती ख़ाज़े'अतल
लीमा आतैतो व हां अना ज़ा'बैना
यदैका फ़'ख़ुज़
ले'नफ़्सी
मिन नफ़्सी आर'रिज़ा
हत्ता तर्ज़ा लका अल'उत्बा
ला'अ'उदो
("सुम्मा क़ुल") "अल'अफ़्वो"
("सलासा मी'याता
मर्राती - सुम्मा क़ुल") रब्बे अग़'फ़िर
ली व अरहम्नी व टब अलैय्या इन्नका अन्ता अल'तव्वाबो
आर'रहीमो
इसके बाद
300
मर्तबा "अल'अफ़्वो"
पढ़ें
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बिस्मिल्लाह हीर रहमान अर'रहीम
अल्लाहुम्मा इन्नका ख़ल्क़'तानी
सवियन
व रब'बैतानी
सग़ीरन,
व
रज़क़'तनी
मक्फ़ी'यन
अल्लाहुम्मा इन्ना'इ
वजद'तो
फ़ीमा अन'ज़ल्ता
मिन किताबेका,
व बशर'ता
बही इबादेक
अन'क़ुल्ता
: (या इबादिया अल'लज़ीना
अस'रफ़ू
अला अन'फ़ोसेहीम
ला तक़'नेतु
मं रहमते अल्लाहे इन्ना अल्लाहा य़ग़'फ़ेरो
अल'ज़ोनूबा
जमीअन
व क़द तक़द'दमा
मन्नी मा क़द अलिमत
व मा अन्ता आ'लमो
बही मिन्नी
फ़या सौ'आता
मिम्मा अह्साहो अलैय्या किताबोका
फ़'लौला
अल'मोवाक़ेफ़ो
अल'लती
औवा'अम्मलो
मिन अफ़्वेका
अल'लज़ी
श्मेला कुल्ले शै'ईन
ला'अल-क़ैतो
बे'यदै
व लौ अन्ना अहदन अस्ता'ता-आ
अल'हरबा
मिन रब्बाहे ला'कुन्तो
अ'अना
अ'हक़्क़ो
बिल'हरबे
व अन्ता ला तख्फ़ा'इ
अलैका खाफ़ॆयतुन फ़िल अरज़े
व ला फ़ी अस'समाये
इल्ला आतैता बेहा
व कफ़ा बेक खाज़ीयन,
व कफ़ा बेका हसीबन
अल्लाहुम्मा इन्नका तालेबी इन अना हरब'तो
व मुदरेकी'इ
इन अ'अना
फ़रर'तो
फ़हा अना ज़ा'बैन
यदैका ख़ाज़ा'ओ
ज़लीलो राग़ेमो
इन ता'अज़-ज़ब्नी
फ़ा'इन्नी
ली,ज़ालिका
अहलो
व होवा या रब्बा मिनका अदलो
व इन'ता'अफ़ो
अन्नी फ़'क़दीमन
शमालानी'इ
अफ़्वेका
बस्तानी'इ
आफ़ियातेका
फ'अस-अलोका
अल्लाहुम्मा बिल'माख्ज़ूने
मिन असमाएका
व बीमा व'अर्ताहू
अल'होजोबो
मिन बहाईका
इल्ला रहिमता हाज़ेही अल'नफ़्सा
अल'जज़ु'व-अता
व हाज़ेही अर'रम्मत
अल'हलू'अत अल'लती
ला तस'तती-ओ
हर्रा शम्सेका फ़.'कैफ़ा
तस'ततीओ
सव'ता
गज़बका फ'अर्हम्नी
अल्लाहुम्मा फ'इन्नी
अमरो'उ
हक़ीरो,
व ख़तरे'इ
यसीरो व
लैसा अज़ाबी मिम्मा यज़ीदो फ़ी मुल्केका मिस्क़ाला ज़र'रतिन व
लौ अन्ना अज़ाबी मिम्मा यज़ीदो फ़ी मुल्केका ल'सालातोका
अस'सबरा
अलैहि
व
अहबब'तो
अन यकूना ज़ालिका लक
वालाकिन सुल्तानोका अल्लाहुम्मा,
आ'अ-ज़मो व
मुल्कोका आ-अद'वमो
मिन अन तज़ीदा फ़ीहे ता'अता
अल'मुती'ईना
औ'तुन-क़ेसा
मिन्हो माँ'सियते
अल'मुज़्नेबीना
फ़ा'अरहम्नी
या
आर'हमर
राहेमीना व तजावज़
अन्नी या ज़ुल'जलाले
व
अल'इकराम वतुब
अलैय्या इन्नका
अन्ता अल'तव्वाबो
अर'रहीमो |
بِسْمِ
اللَّهِ
الرَّحْمَنِ
الرَّحِيمِ |
أَللَّهُمَّ
إنَّكَ
خَلَقْتَنِي
سَوِيّاً، |
وَرَبَّيْتَنِي
صَغِيراً،
وَرَزَقْتَنِي
مَكْفِيّاً. |
أَللَّهُمَّ
إنِّي
وَجَدْتُ
فِيمَا
أَنْزَلْتَ
مِنْ
كِتَابِكَ، |
وَبَشَّرْتَ
بِهِ
عِبَادِكَ، |
أَنْ
قُلْتَ:
(يا
عِبَادِيَ
الَّذِينَ
أَسْرَفُوا
عَلَى
أَنْفُسِهِمْ |
لاَ
تَقْنَطُوا
مِنْ
رَحْمَةِ
اللهِ
إنَّ
اللهَ
يَغْفِرُ
الذُّنُوبَ
جَمِيعاً |
وَقَدْ
تَقَدَّمَ
مِنِّي
مَا
قَدْ
عَلِمْتَ، |
وَمَا
أَنْتَ
أَعْلَمُ
بِهِ
مِنِّي، |
فَيَا
سَوْأَتا
مِمَّا
أَحْصَاهُ
عَلَيَّ
كِتَابُكَ، |
فَلَوْلاَ
الْمَوَاقِفُ
الَّتِي
أُؤَمِّلُ
مِنْ
عَفْوِكَ |
الَّذِي
شَمِلَ
كُلَّ
شَيْء
لاَلْقَيْتُ
بِيَدِي، |
وَلَوْ
أَنَّ
أَحَداً
اسْتَطاعَ
الْهَرَبَ |
مِنْ
رَبِّهِ
لَكُنْتُ
أَنَا
أَحَقُّ
بِالهَرَبِ، |
وَأَنْتَ
لاَ
تَخْفَى
عَلَيْكَ
خَافِيَةٌ
فِي
الاَرْضِ |
وَلاَ
فِي
السَّمَآءِ
إلاَّ
أَتَيْتَ
بِهَا، |
وَكَفى
بِكَ
جَازِياً،
وَكَفى
بِكَ
حَسِيباً. |
أللَّهُمَّ
إنَّكَ
طَالِبِي
إنْ
أَنَا
هَرَبْتُ، |
وَمُدْرِكِي
إنْ
أَنَا
فَرَرْتُ، |
فَهَا
أَنَا
ذَا
بَيْنَ
يَدَيْكَ
خَاضِعٌ
ذَلِيلٌ
رَاغِمٌ، |
إنْ
تُعَذِّبْنِي
فَإنّي
لِذلِكَ
أَهْلٌ، |
وَهُوَ
يَارَبِّ
مِنْكَ
عَدْلٌ، |
وَإنْ
تَعْفُ
عَنِّي
فَقَدِيماً
شَمَلَنِي
عَفْوُكَ، |
سْتَنِي
عَافِيَتَكَ. |
فَأَسْأَلُكَ
اللَّهُمَّ
بِالْمَخْزونِ
مِنْ
أَسْمائِكَ، |
وَبِمَا
وَارتْهُ
الْحُجُبُ
مِنْ
بَهَائِكَ، |
إلاَّ
رَحِمْتَ
هذِهِ
النَّفْسَ
الْجَزُوعَةَ، |
وَهَذِهِ
الرِّمَّةَ
الْهَلُوعَةَ، |
الَّتِي
لاَ
تَسْتَطِيعُ
حَرَّ
شَمْسِكَ، |
فَكَيْفَ
تَسْتَطِيعُ
حَرَّ
نارِكَ؟ |
وَالَّتِي
لاَ
تَسْتَطِيعُ
صَوْتَ
رَعْدِكَ، |
فَكَيْفَ
تَسْتَطِيعُ
صَوْتَ
غَضَبِكَ؟ |
فَارْحَمْنِي
اللَّهُمَّ
فَإنِّي
امْرُؤٌ
حَقِيرٌ،
وَخَطَرِي
يَسِيرٌ، |
وَلَيْسَ
عَذَابِي
مِمَّا
يَزِيدُ
فِي
مُلْكِكَ
مِثْقَالَ
ذَرَّة، |
وَلَوْ
أَنَّ
عَذَابِي
مِمَّا
يَزِيدُ
فِي
مُلْكِكَ |
لَسَأَلْتُكَ
الصَّبْرَ
عَلَيْهِ، |
وَأَحْبَبْتُ
أَنْ
يَكُونَ
ذلِكَ
لَكَ، |
وَلكِنْ
سُلْطَانُكَ
اللَّهُمَّ
أَعْظَمُ، |
وَمُلْكُكَ
أَدْوَمُ
مِنْ
أَنْ
تَزِيـدَ
فِيْهِ
طَاعَةُ
الْمُطِيعِينَ، |
أَوْ
تُنْقِصَ
مِنْهُ
مَعْصِيَةُ
الْمُذْنِبِينَ. |
فَارْحَمْنِي
يا
أَرْحَمَ
الرَّاحِمِينَ، |
وَتَجاوَزْ
عَنِّي
يا
ذَا
الْجَلاَلِ
وَالإكْرَامِ، |
وَتُبْ
عَلَيَّ
إنَّكَ
أَنْتَ
التَّوَّابُ
الرَّحِيمُ. |
|
ईमाम अली (अ:स)
की आधी रात के वक़्त की दुआ
Mp3 |
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बिस्मिल्लाह हीर रहमान अर'रहीम
इलाही कम मिन मौबे'क़ते हलम्ता
अन'मुकाबेलातेहा बे'निक़्मतेका व कम मिन जरीराते
तकर'रमता अन कज़'एहा बेकरमेका, इलाही इन ताला फ़ी
इस्यानेका उमरी व आज़ोमा फ़ी अस'सोह्फ़े ज़न्बी फ़मा
अना'मो'अम्मेला ग़ैरा गुफ़रानेका व ला अना बेराजे ग़ैरा
रीज़्वानेका इलाही अफ़क'केरोनि अफ़वेका फ़ताहूना अलैय्या
ख़तियती सुम्मा अज़कारो अल'अज़ीमा मिन अखज़ेका फ़ा'ता'ज़ोमो
अलैय्या बल'लैती अहि'ईज़ अना फ़रातो फी अस'सोह्फ़े
सैय्यातन अना नासीहा व अन्ता मोह'सीहा फ़'तक़ूलो खोज़ु'हो
फ़'यालाहु मिन माँ'खुज़े ला तुन्जीहे अशी'रतोहू व ला
तन'फ़ा'अहू क़िब्लतोहु यर'हमोहू अल'मलाओ इज़ा आज़ेना फ़ीहे
बिल'यदा-आएही मिन नारे तनज़िज अल'कादा अ'अल्कुला अहे
मिन नारे नज़'जा'अते लिश'शवा-एही मिन गमराते मिन लहीबाते
लज़ा
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तहज्जुद की नमाज़ के बाद ईमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ:स) की दुआ -
गुनाहों से मग्फ़ेरत के लिए |