कुमैल बिन ज़्याद नाखे'ई
शिया सुन्नी बुज़ुर्ग उल्माओं ने
कुमैल बिन ज़्याद के ईमान की क़ुव्वत,
क़ुदरते रूह, पाको
पाकीज़ा फ़िक्र, खुलूसे नियत,
एखलाके हुस्ना और बेहतरीन आमाल से
आरास्ता होने
के लिहाज़ से
तारीफ़ और
तौसीफ की है!
दोनों फ़िर्क़ों
के उल्माओं ने कुमैल बिन ज़्याद की अदालत, जलालत, अजमत
और ईन
की करामत के सिलसिले में बदी तारीफें
की है और इस पर मुत्ताफ्फ़ीक़ भी
हैं!
कुमैल बिन ज़्याद हज़रत अमीरिल मोमिनीन (अ:स) और हज़रत हसन मुजतबा (अ:स)
के ख़ास
असहाब में से थे (मुस्ताद्रिकात इल्मुर'रिजाल
जिल्द
6
पेज
314)
हज़रत अमीरुल मोमिनीन (अ:स) ने कुमैल बिन ज़्याद क़ो अपने दस क़ाबिले
इत्मिनान असहाब
में से शुमार किया
है (रसायेल सय्यद मुर्तज़ा र:अ:)
जनाब कुमैल
इब्ने ज़्याद
हज़रत अली (अ:स) के बेहतरीन शिया,
आशिक़, मोहिब
और
दोस्तदार थे
(बेहारुल अनवार 33, पेज
399, 32 हदीस संक्या 260)
जो वसीयतें और
नसीहतें हज़रत
अली (अ:स) ने कुमैल बिन ज़्याद क़ो फरमाई हैं,
वो
कुमैल बिन ज़्याद के बेहतरीन ईमान और मारेफ़त पर
दलालत करती
हैं !
अहले सुन्नत हज़रात जो
हक़ ओ
अदालत और इंसाफ़ ओ
मुरव्वत से
दूरी की वजह से
अहलेबैत (अ:स)
के चाहने वालों
के सिलसिले में सही नज़र्या
नहीं रखते हैं,
लेकिन
फिर भी
कुमैल बिन ज़्याद क़ो तमाम उमूर में मोरिद-ए-इत्मिनान क़रार देते हैं
(मुस्ताद्रिकात
इल्मुर'रिजाल
जिल्द
6
पेज
314)
उर्फा,
साहिबान ए सैरो सुलूक और दीदार ए महबूब के मुश्ताक अफराद कुमैल बिन
ज़्याद क़ो हज़रत अली अ:स का हमराज़ और आपके मानवी मो'आरिफ
का खजाना समझते हैं!
कुमैल बिन ज़्याद ने पैग़म्बर इस्लाम (स:अ:अव:व) की हयात तय्येबा में
18
साल
ज़िंदगी गुज़ारी और शम्मा ए रिसालत के नूर से बहरा'मंद
रहे!
जनाबे कुमैल,
एक अज़ीम इंसान और
तय्यबो ताहिर वजूद
के मालिक थे जो
अपनी ल्याकात की
बिना पर हज्जाज बिन
युसूफ सक़फ़ी
के हाथों शहादत
के अज़ीम दर्जा पर
फ़ायेज़ हुए,
जैसा के आपके महबूब (हज़रत अली अ:स) ने इनकी शहादत
के बारे में
पेशनगोई की
थी
जब खून'ख़ार
हज्जाज बिन युसूफ ज़ालिम 'उमवी' हुक्मुरान की
तरफ़ से इराक़ का
गवर्नर बनाया गया,
इस वक़्त इसने कुमैल
बिन ज़्याद नाखे'ई
क़ो तलाश करना शुरू कर
दिया ताकि इनको
अहलेबैत (अ:स) की
मुहब्बत के जुर्म में और शिया होने के जुर्म में
(जो
एक बड़ा जुर्म
था) क़त्ल करे!
कुमैल बिन ज़्याद,
हज्जाज की निगाहों से
छुपे हुए
थे,
जिस की बिना पर हज्जाज ने
कुमैल बिन ज़्याद के रिश्तादारों का वज़ीफ़ा,
बैतूल माल से
बंद कर दिया! जिस वक़्त
कुमैल क़ो इसकी ख़बर पहुंची के
मेरे रिश्तेदारों का वज़ीफ़ा मेरी वजह से बंद कर
दिया गया है तो आप ने
फ़रमाया :
"
अब मेरा आखिरी वक़्त है,
मेरी वजह से मेरे रिश्तेदारों का वज़ीफ़ा और
रिज़क़ बंद होना मुनासिब नहीं है"
यह कह कर
आप अपनी छुपी हुई जगह
से बाहर निकले और
हज्जाज के पास खुद चले गए,
हज्जाज ने कहा,
"
मै तुझे सज़ा देने के
लिये तलाश कर रहा था"
जनाब कुमैल बिन ज़्याद ने कहा,
"जो तू
कर सकता है
कर गुज़र, यह
मेरी आखिरी उम्र
है,
और जल्दी ही
मै और तुम ख़ुदा
की बारगाह में पाए जाने वाले हैं,
मेरे
मौला (अमीरुल
मोमिनीन अ:स) ने मुझे पहले ही
यह ख़बर दे दी है
के तू मेरा क़ातिल
है!
हज्जाज ने हुक्म दिया
के कुमैल का सर क़लम कर
दिया जाए,
इस वक़्त इस मरदे
इलाही और
नूरानी शख्सीयत
की उम्र 90
साल थी,
और इस तरह हज्जाज
के हाथों आपकी शहादत
हो गयी!
आप का रौज़ा "सव्या"
नामी इलाक़े
में है जो नजफ़ और
कूफ़ा के
बीच में है,
जहां पर
हर रोज़ आम-और-ख़ास
लोग सैंकड़ों की
तादाद में ज़्यारत के लिये आते हैं !
शरा'ह' ए' दुआ ए कुमैल पेज 46-48 से लिया गया, जो
अन्सारियान पुब्लिकेशन, ईरान द्वारा प्रकाशित हुई है |