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मालूम रहे की रजब, शाबान और रमज़ान के महीने बड़ी अज़मत और
फ़ज़ीलत के हामिल हैं और बहुत सारी रिवायतों में इनकी फ़ज़ीलत
ब्यान हुई है! जैसा की हज़रात मोहम्मद (स:अव:व) का इरशाद
पाक है की माहे रजब खुदा के नज़दीक बहुत ही बुज़ुर्गी के
मुक़ाम पर है, कोई भी महीन अहमियत, हुरमत व फ़ज़ीलत में इस
महीने का हम पल्ला नहीं है और इस महीने में काफिरों से जँग
व जिदाल करना हराम है! तुम्हे मालूम रहे की रजब खुदा का
महीना है, शाबान मेरा महीना है और रमज़ान मेरी उम्मत का
महीना है! रजब में एक रोज़ा रखने वाले को खुद की अज़ीम
ख़ुशनूदी हासिल होती है, इंसान ईलाही ग़ज़ब से दूर हो जाता है
और जहन्नुम के दरवाज़ों में से एक दरवाज़ा इस पर बंद हो जाता
है! ईमाम मूसा काज़िम (अ:स) फ़रमाते हैं की माहे रजब में एक
रोज़ा रखने से जहन्नुम की आग एक साल की मुसाफत तक दूर हो
जाती है और जो शख्स इस माह में तीन दिन के रोज़े रखे तो उस
के लिए जन्नत वाजिब हो जाती है! फिर हज़रत (स:अव:व) फ़रमाते
हैं की रजब बहिश्त में एक नहर है जिसका पानी दूध से ज़्यादा
सफ़ेद और शहद से ज़्यादा मीठा है और जो शख्स इस माह में एक
दिन का रोज़ा रखे तो वह इस नहर से सैराब होगा! ईमाम जाफ़र
अल-सादिक़ (अ:स) से रिवायत है की हज़रत रसूले अकरम (स:अव:व)
ने फ़रमाया की रजब मेरी इमामत के लिए इस्तग़फ़ार का महीना है
और इस महीने में ज़्यादा से ज़्यादा मग़फ़ेरत तलब करो, की ख़ुदा
बख्शने वाला और मेहरबान है! रजब को असब भी
कहा जाता है क्योंकि इस माह में मेरी उम्मत पर ख़ुदा की
रहमत बहुत ज़्यादा बरसती है! इसलिए इस माह में बहुत ज़यादा
कसरत से कहा करो :
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शुरू करता हूँ अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान और रहम करने
वाला है
मैं ख़ुदा से बख़्शिश चाहता हूँ और तौबा की तौफ़ीक़ मॉँगता
हूँ
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बिस्मिल्ला हीर रहमानिर रहीम
अस्तग़ फ़िरुल्लाहे व अस'अलोहुत तौ-बता |
بِسْمِ
اللهِ الرَحْمنِ الرَحیمْ
اَسْتَغْفِرُ الله وَ اَسْئَلُہُ التَّوْبَةَ |
इब्ने बाबवियह ने मातेबर सनद के साथ सालिम से रिवायत की है
की इन्होंने कहा : मैं आख़िर रजब में ईमाम जाफ़र सादिक़ (अ:स)
की ख़िदमत में हाज़िर हुआ तो हज़रत ने मेरी तरफ़ देखते हुए
फ़रमाया की इस महीने में रोज़ा रखा है? मैंने अर्ज़ किया,
फ़र्ज़न्द रसूल (अ:स) वल्लाह नहीं! तब ईमाम ने फरमाया की तुम
इस क़दर सवाब से महरूम रहे हो की जिसकी मिक़दार सिवाए खुदा
के कोई नहीं जानता क्योंकि यह महीना है जिसकी फ़ज़ीलत तमाम
महीनों से ज़्यादा और हुर्मते अज़ीम है और खुदा ने इस में
रोज़ा रखने वाले का एहतराम अपने ऊपर लाज़िम किया है! मैंने
अर्ज़ किया, "ऐ फ़र्ज़न्द रसूल (अ:स), अगर मैं इसके बाक़ी मांदा
दिनों में रोज़ा रखूं तो क्या मुझे वह सवाब मिल जाएगा? आप (अ:स)
ने फ़रमाया : ऐ सालिम जो शख्स आखिर रजब में एक रोज़ा रखे तो
ख़ुदा इसको मौत की सख़्तियों और इसके बाद की हवलनाकी अज़ाबे
क़ब्र से महफूज़ रखेगा! जो शख्स आखिर माह में दो रोज़े रखे वह
पुले सरात से आसानी के साथ गुज़र जाएगा और जो आखिर रजब में
तीन रोज़े रखे इसे क़यामत में सख़्त तरीन ख़ौफ़ तंगी और हवलनाकी
से महफूज़ रख जाएगा और इसको जहन्नुम की आग से आज़ादी का
परवाना हासिल होगा! पता हो की माहे रजब में रोज़ा रखने की
फ़ज़ीलत बहुत ज़्यादा है जैसा की रिवायत हुई है अगर कोई शख्स
रोज़ा न रख सकता हो वह हर रोज़ सौ मर्तबा यह तसबीहात पढ़े तो
इसको रोज़ा रखने का सवाब हासिल हो जाएगा - |
पाक है जो माबूद बड़ी शान वाला है, पाक है की जिसके सिवा
कोई लाईके तस्बीह नहीं, पाक है वोह जो बड़ा इज़्ज़त वाला और
बुज़ुर्गी वाला है, पाक है वोह जो लिबासे इज़्ज़त में मलबूस
है और वही इसका अहल है! |
सुब'हाना अल-हिलहिल जलीले सुब'हाना मन ला यन-बग़ीत तस्बीहो
ईल्ला लहू सुब'हाना अल-अज़-ज़िल अक'रमे सुब'हाना मन लबीसल ईज़-ज़ा
व हुवा लहू अहलुन |
سُبْحانَ
الْاِلہِ الْجَلِیلِ سُبْحانَ مَنْ لاَ یَنْبَغِی التَّسْبِیحُ إِلاَّ لَہُ
سُبْحانَ الْاَعَزِّ الْاَکْرَمِ سُبْحانَ مَنْ لَبِسَ
الْعِزَّ وَھُوَ لَہُ أَھْلٌ ۔ |
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