बताया गया है की जो शख्स सोने से पहले सुराः यासीन पढ़ेगा
और लैलायुल रग़ा'इब के अमाल बजा लाएगा उसको क़ब्र की वहशत से निजात मिलेगी!
पवित्र पैग़म्बर (स:अ:व:व) ने बताया, की यह अमाल हमारे
गुनाहों की माफ़ी का ज़रिया हैं और क़ब्र की पहली रात क़ो अल्लाह अपने सबसे रौशन,
फ़सीह और बेहतरीन तरीक़े से नावाज़ेगा! जब पूछा गया...तो बताया जाएगा....
मेरे बन्दे, तुझे खुशखबरी है की तुझे हर खौफ़ और परेशानी से निजात मिल गयी
है! "जब पूछा गया' "आप कौन हैं? अल्लाह की क़सम मैंने आप से ज़्यादा ख़ूबसूरत आदमी
नही देखा, मैंने आपसे ज़्यादा प्यारी आवाज़ नहीं सुनी, और आप से ज़्यादा ख़ुशबू मै
नही जानता", "जवाब में आया, " मै....तुम्हारी वो ईबादत हूँ जो तुमने माहे
रजब की पहली जुमरात की रात क़ो किया था, मै तुम्हारे पास आई हूँ तुम्हारे
तन्हाई में साथ देने के लिये, ताकि तुमसे खौफ़ और दहशत दूर हो जाए, तुम
बिलकुल निश्चिन्त हो जाओ क्योंकि मेरा साया तुम्हारे साथ उस वक़्त तक रहेगा
जब तक क़यामत के रोज़ का बिगुल नही बजा दिया जाता!
|
अमाल का तरीक़ा : |
यह कहा गया है की रजब की पहली जुमरात क़ो रोज़ा रखे, और
मग़रीब और ईशा की नमाज़ों के बीच 12 रक्'अत नमाज़, 2-2 रक्'अत करके 6 बार
पढ़े, जिसकी नियत "नमाज़े रिजा" होगी!
हर रक्'अत में
सुराः हम्द के बद 3 बार
सुराः अल-क़द्र और
12 मर्तबा सुराः इख्लास
पढ़े
जब यह नमाज़ पूरी हो जाए तो पढ़े : :-
|
70
मर्तबा पढ़ें
: |
ऐ अल्लाह, उम्मी नबी- मोहम्मद और उनकी संतान पर अपना दरूद-ओ-सलाम भेज |
अल्लाहुम्मा सल्ली अला मोहम्मदीन नबी'ईल उम्मी व अला आ'लेह. |

|
फिर सजदे में जाएँ और
70
मर्तबा पढ़ें
:
|
पाक है वो ज़ात जो सबसे ज़्यादा मुक़द्दस फ़रिश्तों और रूहों का रब है. |
सुब'बूहून क़ुद'दूस रब्बुल मलाइ-कते वर-रूह’ |

|
फिर सीधा बैठें और 70
मर्तबा कहें: |
ऐ रब! माफ़ करना, रहम फ़रमा दे और दयालु हो इसके बारे में जो तू खूब जानता
है, बेशक तुही शानदार कामिल और ग़लबा वाला है. |
रब'बिग़ फ़िर वर-हम व तजा'वज़ अम्मा ता'लमो इन्नका अल्न्तल अलियुल अज़म’ |

|
फिर सजदे में जाएँ और
70
मर्तबा पढ़ें
: |
पाक है वो ज़ात जो सबसे ज़्यादा मुक़द्दस फ़रिश्तों और रूहों का रब है. |
सुब'बूहून क़ुद'दूस रब्बुल मलाइ-कते वर-रूह’.
|

|
सामान्य अमाल
|